रामचन्द्र जी खड़े किनारे, हाथ जोड़ कर शीश नवाये ।
सिंधु प्रार्थना सुने हमारी, हमको कोई राह बतायें ।
जलधि बंधे थे रावण बल से , उनको विनय समझ न आये।
गरज गरज के खूब उछल रहे, प्रभु राम को बहुत सतायें।
लखन लाल पीछे ठाणे थे, प्रभु का मर्म समझते जाए।
देख प्रभु की मानव लीला, मंद-मंद मन मे मुस्कायें ।
और शांत न होते देख सिंध को, लिया राम ने धनुष उठाए ।
चढ़ा बाण प्रतनच्या पर, खल को विनय समझ न आये ।
देख राम की क्रोधित मुद्रा, सिंधु थर थर काँपा जाए ।
तुरंत गिर प्रभु के चरणों मे , बोला प्रभु जी प्राण बचायें ।
महावीर नल है सेना मे, उसका भाई नील कहायें ।
जो भी पत्थर वे डालेंगे, वे पानी मे डूबे नायें।
और सेतु बना लो मुझ पर प्रभु जी, उससे पार करो बलवान ।
शांत रहूँगा जीवन भर मैं, मुझको क्षमा करो भगवान ।
महासिन्धु की क्षमा याचना , सुनकर शांत हुए श्री राम ।
और गले लगाया हंस कर बोले , तुमने बना दिया सब काम ।
— आशुतोष राणा
लेखक परिचय
आप एक भारतीय हिन्दी फ़िल्म अभिनेता, निर्माता और लेखक है । आप मराठी, तेलेगु , कन्नड, तमिल, और कई हिन्दी फिल्मों के साथ साथ भारतीय धारावाहिकों मे भी कार्य कर चुके है । आपको कई सम्मान जैसे फिल्मफेर ओ टी टी अवॉर्ड और दो बार फिल्मफेर अवॉर्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है । ऐक्टिंग के साथ साथ आप एक अच्छे लेखक भी है । आपकी अनेक प्रकाशित पुस्तकों मे से प्रमुख ‘मौन मुस्कान की मार‘ और रामराज्य है। आप अपने यूट्यूब चैनल के माध्यम से समय समय पर अपनी स्वयं अथवा अपनी पसंदीदा कविताओ का वाचन करते रहते है ।