अमृत जलद बरसे,
अमृत जलद बरसे,
साँझ भोर में ढल मुस्काए, नव उर ज्योति विहग मँडराये,
प्राण-प्राण में जड़ कण-कण में नव चेतन सरसे,
अमृत जलद बरसे ।।
मधुमय मंगल कलश भरे हों,
दिशि -दिशि भू के पुण्य हरे हों।
विरस शरीरा धरती का तन, मलयाँचल परसे ।
अमृत जलद बरसे ।।
जीर्ण पुरातन सब झर जाए,
अरुण बदन तृण तरु लहराए,
ओ करुणाकर जन-जन के तन,
पुलिक रुधिर बिकसे ।।
अमृत जलद बरसे ।।
Amrit Jalad Barse | Lyrics in English