होंठों से छु लो तुम, मेरा गीत अमर कर दो ।
बन जाओ मीत मेरे, मेरी प्रीत अमर कर दो ।
न उम्र की सीमा हो, न जन्म का हो बंधन ।
न उम्र की सीमा हो, न जन्म का हो बंधन ।
जब प्यार करे कोई , तो देखे केवल मन ।
नई रीत चला कर तुम, ये रीत अमर कर दो ।
नई रीत चला कर तुम, ये रीत अमर कर दो ।
आकाश का सूनापन, मेरे तन्हा मन मे ।
पायल छनकाती तुम, आ जाओ जीवन मे।
साँसे देकर अपनी, संगीत अमर कर दो ।
संगीत अमर कर दो, मेरा गीत अमर कर दो ।
जग ने छीना मुझसे, मुझे जो भी लगा प्यार ।
सब जीता किए मुझसे, मैं हरदम ही हारा ।
तुम हार के दिल अपना, मेरी जीत अमर कर दो ।
होंठों से छु लो तुम, मेरा गीत अमर कर दो ।
— जगजीत सिंह
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