या नव नवल नयनोत्सवा । बघुनी मानस हे अनुभवत अभिनवा । मोहन कोमल भावा ॥ रणस्नेहाची, सुंदर युवती । आता करी समाप्ती । वाटे अस्त्रचि हे रिपुहाती । जिंकाया मम जीवा ॥
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या नव नवल नयनोत्सवा । बघुनी मानस हे अनुभवत अभिनवा । मोहन कोमल भावा ॥ रणस्नेहाची, सुंदर युवती । आता करी समाप्ती । वाटे अस्त्रचि हे रिपुहाती । जिंकाया मम जीवा ॥
बीती विभावरी जाग री।
अम्बर पनघट में डुबो रही,
तारा घट ऊषा नागरी।
Chalo Bhor ke Raahi, O Humraahi, Tumhe Hai Chalna.
Na Ruko Agar Roke Tumhe, Path Pe Koi Chalna.
चलो भोर के राही, ओ हम राही तुम्हें हैं चलना।
ना रुको अगर रोके तुम्हें, पथ पे कोई चलना।
Le Chal Pagle Majdhaar Mujhe, De De Bas Ab Patwaar Mujhe.
In Laheroon Ke Takrane Par Aata Reh Reh Kar Pyar Mujhe.