जागो प्यारे
उठो लाल, अब आँखे खोलो ।
पानी लायी हूँ, मुँह धो लो ।
बीती रात कमाल-दल फूले ।
उनके ऊपर भौंरें झूले ।
चिड़ियाँ चहक उठीं पेड़ों पर ।
बहने लगी हवा अति सुंदर ।
नभ में न्यारी लाली छायी ।
धरती ने प्यारी छवि पायी ।
भोर हुआ सूरज उग आया ।
जल में पड़ी सुनहरी छाया ।
नन्ही नन्ही किरणें आई,
फूल खिले कलियाँ मुस्काई।
ऐसा सुंदर समय न खोओ ।
मेरे प्यारे अब मत सोओ ।

— अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरीऔध’
OR
— सोहनलाल द्विवेदी
इंटरनेट पर इस कविता के दो कवि है। जैसे ही हम इसका सत्यापन कर पाएंगे वैसे ही हम इसे अपडेट करते है । अगर आपको इसके बारे में कोई जानकारी है तो कमेन्ट बॉक्स मे अवश्य सांझा करे । धन्यवाद ।
अपने कब पढ़ी थी यह कविता , कक्षा 2 या 3 मे ?
10 replies on “Utho Lal Ab Aankhen Kholo Hindi Lyrics”
Thank you very much, after reading this poem I remembered my childhood, today I recited this poem to my little baby boy.
And this poem I read in class 2 was probably written by Ayodhya Singh Upadhay.
Thank you for your feedback.
Auodhya singh upadhyaya
Thank You Ma’am.
Beautiful.
Thank you.
Meri maa ke school ki kavita h ye aaj ese padhkar bahut achcha lga👍👌
Class 2
Apni Pratikriya Dene Ke Liye Apka Bahut Bahut Dhanyawaad.
कक्षा दो कि कविता है
अयोध्या सिंह उपाध्याय कही रहे
आज भी यह कविता याद आती है
आपकी प्रतिक्रिया का बहुत बहुत धन्यवाद ।