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Utho Lal Ab Aankhen Kholo Hindi Lyrics

जागो प्यारे

उठो लाल, अब आँखे खोलो ।
पानी लायी हूँ, मुँह धो लो ।
बीती रात कमाल-दल फूले ।
उनके ऊपर भौंरें झूले ।

चिड़ियाँ चहक उठीं पेड़ों पर ।
बहने लगी हवा अति सुंदर ।
नभ में न्यारी लाली छायी ।
धरती ने प्यारी छवि पायी ।
भोर हुआ सूरज उग आया ।
जल में पड़ी सुनहरी छाया ।

नन्ही नन्ही किरणें आई,
फूल खिले कलियाँ मुस्काई।
ऐसा सुंदर समय न खोओ ।
मेरे प्यारे अब मत सोओ ।

— अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरीऔध’
OR
— सोहनलाल द्विवेदी

इंटरनेट पर इस कविता के दो कवि है। जैसे ही हम इसका सत्यापन कर पाएंगे वैसे ही हम इसे अपडेट करते है । अगर आपको इसके बारे में कोई जानकारी है तो कमेन्ट बॉक्स मे अवश्य सांझा करे । धन्यवाद ।

अपने कब पढ़ी थी यह कविता , कक्षा 2 या 3 मे ?

8 replies on “Utho Lal Ab Aankhen Kholo Hindi Lyrics”

Thank you very much, after reading this poem I remembered my childhood, today I recited this poem to my little baby boy.

And this poem I read in class 2 was probably written by Ayodhya Singh Upadhay.

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