स्कूलों की दीवारों पर जा दिल बनाने वाले लड़के ,
चलती तीर को हँसके अपने दिल पर खाने वाले लड़के,
उड़ती तीर भी ख़ुद पर लेके लड़ भिड़ जाने वाले लड़के,
और दिल टूटे तो बिस्तर पर ही झील बनाने वाले लड़के ,
उस दौर का जादू, क्या जाने, ये रील बनाने वाले लड़के ।
ताज़ी किताब पर बासी अखबार की जिल्द चढ़ाने वाले लड़के,
और खा के समोसा सीनियर के सिर बिल टिकाने वाले लड़के,
अरे मेहनत के पथ पर मीलों साइकिल चलाने वाले लड़के,
संघर्षों की ताप मे तप कर तकदीर बनाने वाले लड़के,
उस दौर का जादू, क्या जाने, ये रील बनाने वाले लड़के ।
एक शेर रट ख़ुद को ग़ालिब मीर बताने वाले लड़के,
विन चावल विन दूध बात की खीर बनाने वाले लड़के,
और हक मे उठे तो कलमों को शमशीर1 बनाने वाले लड़के,
उस दौर का जादू, क्या जाने, ये रील बनाने वाले लड़के ।
— नीलोत्पल मृणाल
- शमशीर – तलवार
कवि परिचय —
नीलोत्पल मृणाल जी का जन्म 25 दिसम्बर 1984 मे बिहार मे हुआ । आप एक भारतीय लेखक , कवि कॉलमनिस्ट, ब्लॉगर, समाजिक-राजनीतिक एक्टिविस्ट है। आप अपनी उपन्यास —डार्क हॉर्स, औघड़ और यार जादूगर के लिए काफी जाने जाते है । 2016 मे आपको साहित्य अकादेमी सम्मान से सम्मानित भी किया जा चुका है ।